Protests Erupt in Pali Over Revocation of Divisional Status

पाली का संभागीय दर्जा वापस लेने से पालीवासियों में आक्रोश; शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन!

Protests Erupt in Pali Over Revocation of Divisional Status

Protests Erupt in Pali Over Revocation of Divisional Status

पाली, 11 जनवरी: Pali Divisional Status Revoked Sparks Protests: राजस्थान सरकार ने 13 दिन पहले 9 जिलों और 3 संभागों को खत्म कर दिया है, जिनमें पाली भी शामिल है। पाली को मार्च 2023 में गहलोत सरकार द्वारा संभागीय दर्जा दिया गया था, जिसके बाद वहां के लोगों में खुशी की लहर थी। लोग पाली संभाग की दूसरी वर्षगांठ मनाने के लिए तैयार थे, लेकिन इससे पहले ही राज्य सरकार ने इसे खत्म कर दिया। पाली जिला 7 अगस्त को अपनी दूसरी वर्षगांठ मनाने वाला था, लेकिन सरकार के फैसले ने इस उत्सव को फीका कर दिया।

गहलोत सरकार के द्वारा पाली संभाग की स्थापना
गहलोत सरकार ने पाली के साथ जालौर, सिरोही और सांचौर जिले को मिलाकर पाली संभाग का गठन किया था। इस संभाग की घोषणा 17 मार्च 2023 को की गई थी और अधिसूचना 4 अगस्त 2023 को जारी की गई थी। इसके बाद 7 अगस्त 2023 को पाली संभाग ने मुख्यालय के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन 513 दिन बाद यह संभागीय दर्जा खत्म कर दिया गया और पाली को फिर से जोधपुर संभाग का हिस्सा बना दिया गया। अब पालीवासियों को संभागीय स्तर के कामों के लिए जोधपुर जाना होगा, जिससे उनके विकास और सुविधाओं की उम्मीद एक बार फिर टूट गई है।

पाली संभाग की प्रशासनिक व्यवस्था
पाली संभाग बनने के बाद यूआईटी कार्यालय में इसका मुख्यालय स्थापित किया गया था, और वंदना सिंघवी को संभागीय आयुक्त नियुक्त किया गया था। इसके बाद डाक बंगला भी संभागीय आयुक्त कार्यालय के रूप में तैयार किया गया था। 17 फरवरी 2024 को डॉ. प्रतिभा सिंह ने संभागीय आयुक्त का पदभार संभाला। पाली में डीआईजी कार्यालय भी खोला गया था, जहां राघवेंद्र सुरासा को पाली संभाग का पहला डीआईजी नियुक्त किया गया था। इसके बाद ओमप्रकाश मेघवाल और प्रदीप मोहन शर्मा ने डीआईजी का पद संभाला।

पाली नगर निगम पर अनिश्चितता
अब पाली की नगर निगम को लेकर नई आशंकाएं पैदा हो गई हैं। सरकार इस साल 10 जुलाई को गठित नगर निगम को फिर से नगर परिषद घोषित कर सकती है, क्योंकि डीएलबी की गाइडलाइन के अनुसार नगर निगम के लिए संभागीय मुख्यालय और 5 लाख से अधिक की आबादी जरूरी होती है, जबकि पाली की आबादी अभी करीब सवा तीन लाख है। हालांकि, नगर निगम का गठन इस सरकार ने किया था, इसलिए इसके बने रहने की उम्मीद है।

विरोध प्रदर्शन और संघर्ष
वहीं, पाली संभाग का दर्जा खत्म करने के बाद से पाली में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। करीब 11 दिन से पाली संभाग बचाओ संघर्ष समिति द्वारा कोर्ट परिसर के बाहर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं, जिला कांग्रेस कमेटी ने भी पाली संभाग को यथावत रखने के लिए मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। पालीवासियों का कहना है कि राज्य सरकार का यह कदम उनके विकास के लिए एक बड़ा झटका है।